थैलेसीमिया के लक्षणों की पहचान Identifying symptoms of thalassemia जानिए कैसे करे

थैलेसीमिया के लक्षणों की पहचान Identifying symptoms of thalassemia जानिए कैसे करे
Identifying symptoms of thalassemia

Identifying symptoms of thalassemia – विश्व थैलेसीमिया दिवस :थैलेसीमिया क्या है ?

Identifying symptoms of Thalassemia :  थैलेसीमिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसमें हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन नामक विषम रूप में पैदा होने लगता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन मॉलिक्यूल है जो लाल रक्त को ऑक्सीजन को वितरित करने के लिए उत्पन्न करता है। इस रोग के ग्रस्त व्यक्तियों के शरीर में आरबीसी का अनानूप्राधिक उत्पन्न होता है जो एनीमिया का कारण बनता है अर्थात् शरीर में रक्त की कमी होती है।

यदि माता या पिता में से कोई भी थैलेसीमिया (Identifying symptoms of Thalassemia) से ग्रसित हो तो यह रोग उनके संतान में हो सकता है। इसकी वजह जेनेटिक म्यूटेशन हो सकती है या फिर किसी शास जीन फ्रैगमेंट का हटना भी हो सकता है। हेल्थलाइन की रिपोर्ट के अनुसार ‘थैलेसीमिया माइनर’ इस विकार का हल्का रूप है लेकिन दो और गंभीर रूप हैं जिन्हें काफी गंभीरता से लिया जाता है। ये हैं ‘अल्फा थैलेसीमिया’ और ‘बीटा थैलेसीमिया’।

Identifying symptoms of Thalassemia : थैलेसीमिया के लक्षण कैसे पहचानें ?

Identifying symptoms of Thalassemia : थैलेसीमिया एक गंभीर रक्त रोग है जिसमें हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन उत्पन्न करने वाले रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है या वे समान्य से अधिक असमय पर नष्ट हो जाते हैं। यह रोग आनुवांशिक भी हो सकता है जिसमें एक व्यक्ति को उसके माता-पिता से या उनके खानदानी इतिहास से मिल सकता है।

थैलेसीमिया के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं जो इसे पहचानने में मदद कर सकते हैं।

पहला लक्षण है गहरे रंग का यूरिन :-  थैलेसीमिया के मरीजों का यूरिन गहरे रंग का होता है जो हीम उत्सर्जन की वजह से होता है।

दूसरा लक्षण है विकास और ग्रोथ में देरी :-  थैलेसीमिया के रोगी बच्चों में विकास और ग्रोथ में देरी का सामना कर सकते हैं।

तीसरा लक्षण है हद से ज्यादा थकान और सुस्ती :-  यह रोगी अत्यधिक थकान और सुस्ती महसूस कर सकते हैं  जो अक्सर                        अनीमिया के कारण होती है।

चौथा लक्षण है शारीरिक कमजोरी :-  थैलेसीमिया के मरीजों में शारीरिक कमजोरी की समस्या हो सकती है।

पांचवा लक्षण है स्किन का पीला पड़ जाना :-  थैलेसीमिया के रोगी की त्वचा का रंग पीला पड़ सकता है।

अंत में छठा लक्षण है खास तौर पर चेहरे में हड्डी की विकृति:-  कुछ थैलेसीमिया के मरीजों को चेहरे की हड्डियों में असामान्य विकार होते हैं जैसे कि उच्च चेहरे की हड्डी, चिह्नित आँखें या गोले।

यदि आपको इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण का अनुभव होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एक विशेषज्ञ डॉक्टर आपकी जांच करेगा और उपयुक्त उपचार की सलाह देगा।

Identifying symptoms of Thalassemia :-  थैलेसीमिया होने के मुख्य कारण क्या है ?

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थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रोग है जिसका कारण है हीमोग्लोबिन बनाने वाले जीनों में म्यूटेशन या असामान्यता। यह विशेष असामान्यता आपको माता-पिता से विरासत में मिलती है। अगर आपके एक ही वंशज में थैलेसीमिया का कैरियर है तो आप थैलेसीमिया (Identifying symptoms of Thalassemia) माइनर के रूप में बीमार हो सकते हैं। यहाँ आपको लक्षण नहीं दिखाई दे सकते लेकिन आपके बच्चों को इस बीमारी का कैरियर हो सकता है। अगर दोनों पैरेंट्स में यह रोग है तो बच्चों के लिए यह खतरनाक हो सकता है। थैलेसीमिया अधिकतर एशियाई, अफ्रीकाई, और मिडिल ईस्ट के लोगों में पाया जाता है।

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Identifying symptoms of Thalassemia :- क्या है थैलेसीमिया का इलाज ?

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थैलेसीमिया का इलाज कई तरह के हो सकते हैं जो रोगी के लक्षणों और रोग के स्तर पर निर्भर करते हैं। यहां कुछ प्रमुख थैलेसीमिया के इलाज के विकल्प दिए जा रहे हैं

पहला विकल्प :-  ब्लड ट्रांसफ्यूजन जिसमें रक्त की कमी को पूरा करने के लिए नया रक्त प्रदान किया जाता है। यह उपाय उन रोगियों के लिए उपयुक्त होता है जिनकी हीमोग्लोबिन स्तर बहुत कम हो गया है।

दूसरा विकल्प :- बोन मैरो ट्रांसप्लांट जिसमें एक रोगी को उनके अस्थियों का प्रतिस्थापन किया जाता है। यह एक उच्च-स्तरीय इलाज है और अक्सर गंभीर थैलेसीमिया के मामलों में ही संभव होता है।

तीसरा विकल्प :-  दवाइयों और सप्लीमेंट्स का उपयोग जो थैलेसीमिया (Identifying symptoms of Thalassemia) के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। इनमें एंटीबायोटिक्स, फॉलिक एसिड और अन्य रक्त संबंधी उपचार शामिल हो सकते हैं।

चौथा विकल्प :-  स्पलीन और गॉल ब्लैडर की संभावित सर्जरी जो गंभीर मामलों में थैलेसीमिया के इलाज का हिस्सा बन सकता है।

हालांकि सभी मामलों में हर रोगी का इलाज अलग हो सकता है। इसलिए एक व्यक्तिगत चिकित्सक के साथ परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें सबसे उपयुक्त और प्रभावी इलाज का सुझाव दिया जा सके।

इस आर्टिकल को अंत तक पढने के लिए आपका धन्यवाद हमें आशा है की आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा इसके लिए हमें फीडबैक देना न भूले।

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Surendra Jain

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