दुर्गाष्टमी पर्व पर चमत्कारी नारियल दर्शन के लिए उमडे श्रद्धालु।

उपखण्ड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में रविवार को दुर्गाष्टमी पर्व (Durgashtami Festival) बडी धूमधाम से उत्साह पूर्वक मनाया गया।
निवाई (न्यूज़ अपना टोंक) – उपखण्ड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में रविवार को दुर्गाष्टमी पर्व (Durgashtami Festival) बडी धूमधाम से उत्साह पूर्वक मनाया गया। रक्तांचल पर्वत की तलहटी में बडी बरथल में स्थित ज्वाला माता मन्दिर में चमत्कारी नारियल के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। नारियल की विशेषता यह है कि नारियल को अनाज के ढेर में दबा दिया जाता है। प्रतिदिन श्रद्धालु नारियल पर श्रद्धा से अनाज चढाते है और नारियल स्वत: ही ढेर से ऊपर आ जाता है। विक्रम संवत 999 ईस्वी में करीब 1081 वर्ष पूर्व बरथल गांव में माताजी की स्थापना हुई थी। यूं तो ज्वाला माता के मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
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लेकिन शारदीय नवरात्रों में सप्तमी से विजयदशमी तक विशेष पूजा पूजा अर्चना प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। वहीं प्रत्येक माह की अष्टमी ज्वाला माता की पूजा अर्चना के लिए अपना अलग ही महत्व रखती है। नवरात्रों में सप्तमी को खीर, अष्टमी को मालपुआ, नवमी को चूरमा एवं विजयदशमी को विशेष प्रकार का भोग लगाने की प्राचीनकाल से आज तक परंपरा चली आ रही है। वैसे ही चैत्र नवरात्रों में सप्तम अष्टमी व नवमी का विशेष महत्व माना गया है।
माता के भक्त पदमसिंह मरमट भोपाल व श्रद्धालु निर्भराम मीणा ने बताया कि प्राचीन ग्रंथो के अनुसार ज्वाला माता के मूर्ति की पूजा नहीं होती है।यहां चमत्कारी नारियल के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के दुख.दर्द दूर हो जाते हैं।उन्होंने बताया कि ज्वाला माता के चमत्कारी नारियल के दर्शन नवरात्रों की अष्टमी को अर्धरात्रि से नवमी व दशमी को सुबह 10 बजे तक ही दर्शन होते हैं।बाकी दिनों माता की अगर व बबूत लगाने मात्र से ही दुखियों के दुख दूर होते हैं और श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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चमत्कारी नारियल के दर्शन मात्र से ही ऊपरी हवाए भूत प्रेत जैसे गंभीर असाध्य रोगों का छुटकारा मिल जाता है। नवरात्रों में यहां 9 दिन तक सभी यात्रियों के लिए युवा मंडल द्वारा विशाल निशुल्क भंडारे का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि यहां नवरात्रों में ही नहीं वर्ष भर देश के दिल्ली, मुंबई, भोपाल, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, जयपुर, सवाई माधोपुर व दौसा सहित संपूर्ण भारत के विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालुओं का आना जाना बना रहता है।
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