संगीत के साथ उत्तम मार्दव धर्म की विशेष आराधना की गई।

संगीत के साथ उत्तम मार्दव धर्म की विशेष आराधना की गई।

Dashalakshana Dharma के दौरान दस धर्मों के कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं श्रद्धालु।

निवाई(न्यूज़ अपना टोंक) जैन मुनि शुद्ध सागर महाराज ने वर्षायोग के दौरान दस दिवसीय Dashalakshana Dharma के अन्तर्गत पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म में धर्म कि सभा को सम्बोधित करते हुए कहा धर्म आराधना के दस भेदों के अन्तर्गत उत्तम मार्दव धर्म का दूसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि मानसिक कोमलता का नाम मार्दव है। चित्त में कोमलता और व्यवहार में नम्रता होना मार्दव धर्म है। उन्होंने कहा कि मार्दव का अर्थ है मान कषाय का नाश करना एवं मार्दव की आधारशिला विनय है यह आत्मा का स्वाभाविक परिणाम है।

इसी तरह क्षुल्लक श्री अकम्प सागर महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म का अर्थ है दया से विशुद्ध होना।जिस प्रकार आधारशिला के अभाव में भवन का निर्माण होना जड़ के अभाव में वृक्ष की स्थिति होना, बादल मेघ के अभाव में जलवृष्टि होना असम्भव हैउसी प्रकार दया के अभाव में मार्दव धर्म एवं सम्यगदर्शन की उत्पत्ति होना असम्भव है। मार्दव अर्थात मान कषाय का अभाव। उत्तम मार्दव धर्म की प्राप्ति के लिए हमें मान कषाय को अपने से बाहर निकालना आवश्यक है।

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Dashalakshana Dharma
Dashalakshana Dharma के दौरान दस धर्मों के कार्यक्रमों में भाग लेते हुए श्रद्धालु।

जैन समाज के प्रवक्ता विमल जौंला ने बताया कि बुधवार को विधानाचार्य पण्डित सुरेश कुमार शास्त्री द्वारा सोधर्म इन्द्र महावीर प्रसाद छाबड़ा एवं धनपति कुबेर त्रिलोक सिरस, यज्ञनायक पारसमल सांवलिया चक्रवर्ती हेमचंद संघी सानतकुमार इंद्र पुनित संघी माहेन्द्र इंद्र त्रिलोक पांडया, ईशान इंद्र हुकमचंद गोधा, ज्ञानचंद सोगानी, राकेश संघी, पदमचंद पराणा, दिनेश संघी, दिनेश सोगानी, विमल पाटनी सहित कई इंद्र इन्द्राणियों को श्रीजी का कलशाभिषेक एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

इसके बाद श्रद्धालुओं ने नवदेवता पूजा, उत्तम मार्दव धर्म पूजा, समवशरण में विराजमान भगवान आदिनाथ, चंद्रप्रभु, वासुपूज्य, शांतिनाथ, नेमीनाथ, पाश्र्वनाथ एवं महावीर स्वामी एवं कल्पद्रुम महामण्डल विधान की विशेष पूजा अर्चना की गई। जौंला ने बताया कि पर्युषण महापर्व के तहत जिनवाणी महिला मण्डल के तत्वावधान में धार्मिक तम्बोला हाऊजी प्रतियोगिता एवं लधु नाटिका का मंचन किया गया जिसमें विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। जिसमें महावीर प्रसाद पराणा, पवन बोहरा, सुशील गिन्दोडी़, सुनील भाणजा, यश जैन, पंकज जैन, मुकेश संघी, महेंद्र संघी सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

 

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Surendra Jain

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