आचार संहिता लागू पीपलू का एडीएम क्षेत्र बदलने की मांग अटकी

पीपलू (न्यूज़ अपना टोंक)-राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 की मतदान तिथि जारी होने के साथ ही सोमवार से आचार संहिता (Code of Conduct Implemented) लागू हो गई। जिससे मालपुरा को जिला बनने का सपना अधूरा रहा वहीं पीपलू का एडीएम क्षेत्र मालपुरा की बजाए टोंक में ही रखने की मांग भी अधूरी रह गई। 6 अक्टूबर को संयुक्त शासन सचिल बालमुकुंद असावा द्वारा नवगठित अतिरिक्त जिला कलेक्टर मालपुरा के क्षेत्राधिकार की जारी हुई अधिसूचना में मालपुरा तहसील के साथ पीपलू उपखंड व तहसील के संपूर्ण क्षेत्राधिकार को शामिल किया है। जिससे क्षेत्र के लोगों में भारी रोष व्याप्त था।
रविवार को घाणा चौराहे पर भाजपा युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष दशरथसिंह राजावात के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन धरना शुरु किया गया था। रात को भी धरनार्थी धरने पर बैठे रहे। वहीं उपखंड क्षेत्र के गांव बगड़ी, जौंला, पीपलू, डारडातुर्की, हाडीकलां व सोहेला पंचायतों के ग्रामीणों ने भी इसका विरोध किया। एडीएम क्षेत्र मालपुरा होने से पीपलू उपखंड के मालपुरा जिले में जोड़े जाने की संभावना बढ़ी थी लेकिन आचार संहिता से मालपुरा जिले का नोटिफिकेशन जारी नहीं किए जाने से मालपुरा अधिकारिक रूप से जिला नहीं बन पाया। अभी यह टोंक का ही उपखंड माना जाएगा। इसके चलते पीपलू उपखंड क्षेत्र एडीएम कार्यालय मालपुरा से हटाकर वापस टोंक करने की मांग भी अधूरी रह गई है।
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आचार संहित लगने (Code of Conduct Implemented) से पहले सोमवार को पीपलू उपखंड क्षेत्र से जनप्रतिनिधिगण एवं सैकड़ों लोग मालपुरा में सृजित हुए एडीएम कार्यालय में शामिल किए पीपलू तहसील के समस्त क्षेत्राधिकार को वापस टोंक मे शामिल रखने की मांग को लेकर उपखंड कार्यालय पर एकत्रित हुए। जहां नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी वर्षा शर्मा को ज्ञापन सौंपा। आचार संहिता लगने से यह मांग भी नई सरकार बनने तक पूरी नहीं हो पाएगी। यानी की अब नई राज्य सरकार ही इस मांग कों पूरा कर सकेगी। उल्लेखनीय है पीपलू से टोंक मात्र 16 किमी तथा मालपुरा की दूरी 55 किमी है।
जिससे क्षेत्र के लोग टोंक जिले में यथावत रहना चाहते है। इस दौरान सत्यनारायण चंदेल, रामनिवास गुर्जर, रामबिलास सैनी, प्रतापसिंह राजावत, राजेश गौड़, राजेश चौधरी, गिर्राज प्रजापत, प्रधानलाल गुर्जर, शंकरलाल सैनी, रामलाल मीणा, राजेशकुमार खटीक, मोहन बलाई, तुलसीराम गुर्जर, हीरालाल साहू, ओमप्रकाश गुर्जर, नंदकिशोर शर्मा, पुरषोतम शर्मा, शंकरलाल चौधरी, राजाराम चौधरी, रमेश नामा, ओमप्रकाश सोनी, मुरली वैष्णव, रामेश्वर बैरवा, हजारीलाल व बद्रीलाल मेहरा सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।
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